Dharti ke abhage
Material type: TextPublication details: Delhi GranthshilpiDescription: HB;248Subject(s): DDC classification:- 325.3440965 hQ3
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode |
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Books | DRBRAC Library | 325.3440965 hQ3 (Browse shelf(Opens below)) | Available | 45310 |
फ्रैंज फेनॉन की यह क्लासिकी कृति उस समय लिखी गई, जब अलजीरियाई स्वतंत्रता संग्राम अपने पूरे उफान पर था। उसी समय से यह कृति उपनिवेश विरोधी आंदोलनों का प्रेरणा स्रोत बनी हुई है। यह पूरी ताकत और आक्रोश के साथ साम्राज्यवाद द्वारा बरपाई गई आर्थिक और मनोवैज्ञानिक अधोगति उजागर करती है। फेनॉन स्वय मनोचिकित्सक था और उसने दिखाया था कि औपनिवेशिक युद्ध और मानसिक बीमारी के बीच कितना गहरा संबंध है। उसने यह भी दिखाया कि स्वतंत्रता के लिए लड़ाई को राष्ट्रीय संस्कृति के निर्माण के साथ जोड़ा जाना चाहिए और यह कि क्रांतिकारी हिंसा समाजवाद कि ओर ले जाएगी। हथियार उठाने के उस युग के आह्वान अब केवल ऐतिहासिक दिलचस्पी के विषय रह गए हैं लेकिन महाशक्तियों और तीसरी दुनिया के बीच संबंध का इसका भावपूर्ण विश्लेषण आज की हमारी दुनिया के लिए भी उतना ही प्रबोधक हैं।
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